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Monday, March 20, 2017

... ~ गौरैया ~ ...

गौरैया - यह गोल-मटोल छोटी चिड़िया भला किसे अच्छी नहीं लगती होगी? मेरा विश्वास है कि गौरैया हम सब के बचपन की स्मृतियों का अभिन्न अंग होगी। मेरा बचपन तो छोटे शहर में गुजरा जहाँ झुंड-की-झुंड गौरैयाएँ आतीं, दाना चुगतीं और फुर्र से उड़ जातीं। बड़े शहरों में तो अब सिर्फ आलसी पक्षी कबूतर मिलते हैं - जो दूर से भले ही सुन्दर लगें, बालकनी और छज्जियों पर सिर्फ गन्दगी फैलाते हैं। गौरैयों से उनकी तुलना कहाँ

गौरैया इतनी सुन्दर शायद इसलिए भी लगती है क्योंकि वह छोटी होती है और इस कारण बचपन की याद दिलाती है। ज्यादा रंग बिरंगी नहीं होती, शायद इसलिए उसकी सादगी ज्यादा भाती है। उसकी आवाज भी 'चहचहाती' हुई बिल्कुल वैसी होती है जैसा उसका प्यारा सा व्यक्तित्व है।

आज 'अंतरराष्ट्रीय गौरैया दिवस' है जो कि हर साल २० मार्च को मनाया जाता है। यह याद दिलाने के लिए कि हमारे जीवन की आपाधापी में हम गौरैया जैसी पक्षियों को भूल जाएँ और उनके प्राकृतिक वातावरण की कुछ चिंता जरूर करें। फादर-मदर-वुमन-डे जैसे विभिन्न दिवसों में से ये एक दिवस ऐसा है जो ह्रदय को वहाँ छूता है जहाँ और कोई दिन नहीं छूते। 

प्यारी गौरैया और उसके संगीत का आभार - हमारे बचपन में रंग भरने को सारी पक्षियों का आभार। 


- राहुल 

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