Saturday, December 30, 2017

#Society: मिड नाईट कल्चर और युवा वर्ग का भविष्य

मुम्बई के कमला मिल्स अग्निकांड की हृदयविदारक तस्वीरें सामने आ रही हैं। हँसते-खेलते परिवार और बच्चे मिनटों में काल की गोद में समा गए। मृतकों में एक लड़की और उसका परिवार जो बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे थे, पर खासी कवरेज है। खबर आते ही दो बातें नोट करने लायक थीं - '1 Above' जहाँ आग लगी वो बस एक रेस्त्रां नहीं एक "पब" है जिसमें 'बार' है और शराब सर्व की जाती है। उसकी निचली फ्लोर पर भी आग फैली और वहाँ 'Mojo's Bistro' नाम का "पब" था। आग रात के साढ़े बारह बजे लगी। बर्थडे सेलिब्रेट करने वाले रात के बारह बजे ही सेलिब्रेट करने गए थे। उन्होंने बारह बजे बर्थडे केक काटा, मोबाइल पर वीडियो बनाया और स्नैपचैट पर शेयर किया। थोड़ी देर में आग लगी और सब खत्म। बर्थडे गर्ल की उस "अंतिम सेलिब्रेशन" के वीडियो को टीवी चैनल्स बार-बार दिखाकर अपनी टीआरपी बढ़ा रहे हैं। जिन चौदह लोगों की मौत हुई उनमें ग्यारह महिलाएँ हैं जो बीस-तीस साल की थीं। 

एक समय था जब अच्छे घरों के बच्चे रात में बाहर नहीं जाते थे - लड़कियाँ पब में नहीं जाती थीं - पार्टी घर पर हुआ करती थी - जन्मदिन पर मंदिर में पूजा होती थी - अगर बर्थडे केक कटता तो घर पर पूरे परिवार के साथ - न की मध्य रात्रि में दूसरों के साथ शराब की दुर्गन्ध के बीच किसी पब में। 

मुंबई जैसे महानगर के लिए लड़के-लड़कियों का रात के साढ़े बारह बजे घर से दूर पब में जाकर दोस्तों के साथ पार्टी करना एक आम बात होगी। मेरे लिए इस एंगल से सोचना आसान होगा - क्योंकि मैं तो बिहार के एक छोटे शहर के ब्राह्मण शिक्षाविद परिवार में पला-बढ़ा जहाँ मुझे "मॉडर्न" बनने की ललक विरासत में नहीं मिली। पर समस्या ये है कि आज हर शहर मुम्बई बनने की कोशिश में है और हर बच्चा पब में मिड नाईट पार्टी करना चाहता है। कोई जरुरी नहीं कि छोटी समस्या को तबतक इग्नोर किया जाये जबतक कि वह एक गंभीर बीमारी न बन जाये। 

आज की युवा पीढ़ी को देखिए - 50% लड़के पढाई के लिए घर से दूर जाते ही शराब सिगरेट शुरू कर देते हैं। 90% के माँ बाप को पता ही नहीं चलता कि बेटा क्या करता है। सरकार भी सिर्फ सिगरेट के पीछे पड़ी है, शराब को डिस्करेज करने का कोई प्लान नहीं। जबकि सिगरेट धीरे-धीरे मारता है पर शराब तुरत मारती है। लोकल न्यूज़पेपर में जितने रोड एक्सीडेंट्स की खबरें आती हैं, कोई नहीं जानता उनमें से कितनी शराब के कारण होती हैं। ऐसे लड़कों के माँ-बाप जब उनके लिए संस्कारी लड़की ढूंढ रहे होते हैं, लड़के किसी दोस्त के घर शराब के नशे में या तो उल्टियां कर रहे होते हैं या गन्दी गालियाँ दे रहे होते हैं। और लड़कियों को अच्छा समझने का भ्रम तो दिल्ली आने के बाद टूटा। लड़कियों की एक बड़ी संख्या शराब पीती हैं, अधिकांश कभी-कभी पीती हैं, और घर में किसी को नहीं बतातीं। 

ऊपर-ऊपर हम युवाओं को दिन प्रतिदिन ज्यादा शिक्षित और बढ़िया से बढ़िया नौकरियों में जाता देख गर्व महसूस करते हैं, पर सतह के नीचे एक दोयम दर्जे के संस्कारहीन समाज का निर्माण होते हुए देख रहे हैं। कम-से-कम आज की पीढ़ी को सही और गलत बताने वाला तो है - उनकी अगली पीढ़ी को शायद वो सुविधा भी न मिले। 

एक ही आग्रह है - गलत को गलत कहें - उसके बाद बच्चों की चाहे जो मर्जी। पर उनकी गलतियों को "सही" न ठहराएँ। बच्चों की उम्र सही हो तो कड़ाई भी करें। उनपर मॉडर्न बनने का 'एक्स्ट्रा प्रेशर' न डालें। आपका सबसे बड़ा कर्त्तव्य उन्हें सही शिक्षा देना ही है। 

जब भी हम किसी विदेशी व्यक्ति से भारतीय समाज और सभ्यता की बात करते हैं तो नोटिस कीजिये कि हम जिस समाज और कल्चर की बात करते हैं - आज की हमारी युवा पीढ़ी ही उनमें कितना विश्वास करती है? 

भारत के छोटे शहरों में अंदर से खोखले होते जा रहे समाज और महानगरों में किसी समाज की ही अनुपस्थिति एक बड़ी चिंता का विषय है। ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने और दूसरों से आगे बढ़ने की ललक में हम अपनी सभ्यता, समाज और संस्कारों से ही कटते चले जा रहे हैं। हम जितनी जल्दी चेतेंगे, हमारा उतना भला होगा। वरना हमारी "भूरे अंग्रेज" बनने की सनक हमें एक दोयम दर्जे की नस्ल बनाकर छोड़ेगी। 

- राहुल तिवारी 

Thursday, December 28, 2017

विरूष्का की शादी

डिअर विराट और अनुष्का,

शादी की बिलेटेड शुभकामनाएँ!

इटली से आपकी शादी की पिक्चर्स देखीं। फिर पहाड़ों से आपके हनीमून के सैर की तस्वीरें देखीं। फिर आपके दिल्ली रिसेप्शन की वीडियो देखी। और अभी लेटेस्ट मुंबई रिसेप्शन की तस्वीरें और वीडियो देखी। आपके शादी के फोटोज और वीडियो को इंटरनेट पर इतना शेयर किया गया है कि गूगल को एक नया सर्वर लगाना पड़ा है सिर्फ आपके लिए। इन सब में आपने फ्री में इतना एंटरटेन किया है कि क्या बताऊँ। आप लोग अभी इतने फेमस हो चुके हो कि अगर शादी और रिसेप्शन से ब्रेक लेकर गुजरात इलेक्शन में खड़े हो जाते तो आराम से जीत जाते। फिर ५ साल में एक बार विधानसभा चले जाते और अगर कुछ बोल नहीं पाते तो एक होम-मेड वीडियो बनाकर यू-ट्यूब पर डाल देते! पर ये सब आप रिटायर होने के बाद करेंगे, है ना? तो मुद्दे की बात पर आता हूँ।

१) आपकी शादी की तस्वीरों में लाल रंग गायब था। सारी तस्वीरें 'पिंक-वाश' की हुई लग रही थीं। चाहे 'सव्यसाची' जो कहें दुल्हन 'लाल जोड़े' में ही दुल्हन लगती है।



आपकी तस्वीरों में इतना पिंक मैंने एक बार में देख लिया कि अब पिंक देखने से उबकाई होने लगी है। आँखों को वापस 'बैलेंस' करने के लिए मैं अमिताभ बच्चन की 'ब्लैक' देखने का सोच रहा हूँ, और इफेक्टिव बनाने के लिए देखते समय कमरे में अँधेरा करके ऑंखें भी बंद कर लुँगा।

२) शादी की तस्वीरों में विराट दुल्हन की तरह शर्मा रहे थे और अनुष्का शर्मा दूल्हे की तरह खुश थीं।



विराट हर तस्वीर में शर्माये से, नजरें झुकाये से लग रहे थे। ऑन द कोंट्ररी, अनुष्का खुश ऐसी जैसे हँसी दबाये ना दबे, बार-बार विराट को ऐसे देखतीं जैसे पूछतीं कि "सब ठीक है ना? प्यास तो नहीं लगी? कुछ खाने को लाकर दूँ? म्यूजिक ज्यादा तेज तो नहीं? मम्मा को बुलाऊँ?" एटसेट्रा। थोड़ा तो कंट्रोल करो - ऐसी भी क्या पैम्परिंग?

३) पहाड़ों पर हनीमून के सैर की तस्वीरों में बस 'मंकी कैप' की कमी थी।



इतने स्वेटर, टोपी, मफलर से ढके थे आप दोनों कि उनसब से निकलते-निकलते शायद २ दिन लग गए होंगे। एक बस 'मंकी कैप' नहीं दिख रहा था। फिल्मों में तो बर्फ से ढके पहाड़ों पर हिरोइन बैकलेस साड़ी पहन और हीरो बिना स्वेटर टोपी के 'स्मार्ट' बने फिरते हैं! पर इन तस्वीरों को देखकर आपकी असलियत सामने आयी। अब हम सुपरहीरो कहाँ से लाएँगे?

४) रिसेप्शन में आप ऐसे नाचे जैसे मुन्ना और पिंकी नाचते हैं शादियों में।



फिल्मों में तो क्या 'ग्रैंड सेट' बनाते हो, क्या डांस करते हो! पर रिसेप्शन में हाथ उठाये, कंधे उचकाए, बल्ले-बल्ले करके ऐसे नाचे जैसे एकदम आम इंसान नाचते हैं! कुछ तो आर्टिफिशियल करना था! जब वीडियो बनाया ही तो मूवी जैसा बनाते!

और खबर है कि आप अपने शादी की तस्वीरें बेचकर 'चैरिटी' में देने वाले हैं। ये दूसरों के पैसे से चैरिटी वाला "बीइंग ह्यूमन" टाइप "रॉबिन हुड"आईडिया इग्नोर कीजिये, दान-धर्म अपनी जेब से ही कीजिए।

बस। अब एकदम से माफी। इससे पहले कि विराट के फैंस मुझे दौड़ा-दौड़ा कर पीटें और अनुष्का के फैंस मुझे फेसबुक पर ब्लॉक कर भागें, मुझे माफी माँग लेनी चाहिए। अब इतने दिनों तक टीवी, इंटरनेट हर जगह सिर्फ 'विरूष्का-विरूष्का' गाओगे तो खाली दिमाग कुछ तो सोचेगा ना!

- राहुल तिवारी

Monday, December 25, 2017

[#Photography] Around Me

How does so much light come in the morning, papa? God switches on the lights! Then what are these clouds papa? These are smoke from God's kitchen! How come chanda mama is still visible when it is morning papa? Because he knows you are looking and he wants to see you my love! 

[Picture Taken in Dec 2017 © Rahul N. Tiwary.]


Bird shaped bird's seat.

[Picture Taken in Dec 2017 © Rahul N. Tiwary.]


Wings Win, Legs Lose.

[Picture Taken in Dec 2017 © Rahul N. Tiwary.]


Keeping all your apples and oranges in the same basket.

[Picture Taken in Dec 2017 © Rahul N. Tiwary.]


A bull in the chai shop.

[Picture Taken in Dec 2017 © Rahul N. Tiwary.]


It snowed in Kashmir and hence it rained in Delhi. This phenomenon looked magical. It also brought winter closer than it was. I was born in winter and I love it. But today while we were taking a post lunch walk around our office, what did we see? A small puppy was sleeping in the middle of the road! Two cars passed beside it and they avoided it somehow. What was the kid doing! We wondered. Then the pup stood up and moved a bit away from the middle of the road. It lied again but made sure it was near the middle of the road. While it was walking, we could observe it. Its belly had bones visible from the outside. It was malnourished, very weak and was finding it difficult to even walk. I proposed my theory - this little pup must have strayed from its mother and siblings and hence it was not finding enough food! Perhaps it went to the middle of the road so that it would be easier for its mother to spot it? Who knows. We moved on. On a roadside tea shop, this different pup (in picture) was found. It was sleeping over some discarded ash and coal from the tea vendor's oven, finding it dry and warmer. So heartwarming... And that solved the earlier puppy's middle of the road riddle too. It must have gone there because the middle of the road was dry and warmer! This makes winter a bit difficult to pass. Knowing that stray animals are suffering in winter. May they keep good health and find enough food to survive...

[Picture Taken in Dec 2017 © Rahul N. Tiwary.]


A four legged one was seen waiting for an elevator to reach our office this morning. He was right on time. The difference between him and other occupants of the elevators was not that he had more legs, because we all come down on four legs when needed, or that he had a tail which he wags, for we do more of the same without a tail, but the difference was that he was unstrapped while others had straps around their necks.

[Picture Taken in Dec 2017 © Rahul N. Tiwary.]


The only litter we have here is cute litter.

[Picture Taken in Dec 2017 © Rahul N. Tiwary.]


Sherlock Brothers in action.
Someone dressed up the office stray pups!

[Picture Taken in Dec 2017 © Rahul N. Tiwary.]



Absolute Nirvana.



[Picture Taken in Dec 2017 © Rahul N. Tiwary.]

धूप निकलने के साथ ही आज कोई और भी निकला है बाहर:



Thursday, December 7, 2017

#Poems: एक नया अनुभव / हरिवंशराय बच्चन


मैनें चिड़िया से कहा, मैं तुम पर एक 
कविता लिखना चाहता हूँ।
चिड़िया नें मुझ से पूछा, 'तुम्हारे शब्दों में
मेरे परों की रंगीनी है?'
मैंने कहा, 'नहीं'।
'तुम्हारे शब्दों में मेरे कंठ का संगीत है?'
'नहीं।'
'तुम्हारे शब्दों में मेरे डैने की उड़ान है?'
'नहीं।'
'जान है?'
'नहीं।'
'तब तुम मुझ पर कविता क्या लिखोगे?'
मैनें कहा, 'पर तुमसे मुझे प्यार है'
चिड़िया बोली, 'प्यार का शब्दों से क्या सरोकार है?'
एक अनुभव हुआ नया।
मैं मौन हो गया!