Wednesday, August 14, 2019

उत्तर रामायण में शम्बूक वध का प्रकरण

कुछ लोग 'शम्बूक वध' के प्रकरण को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की "दलित विरोधी" विचार का प्रमाण मानते हैं। कई हिन्दू-विरोधी लोग इस प्रकरण को बार-बार उछाल कर हिन्दू धर्म की निंदा करते दीखते हैं। तो इस मामले की सही जानकारी सबको होना बहुत आवश्यक है।

शम्बूक वध का प्रकरण "उत्तर रामायण" में आता है जो कि वाल्मीकि रामायण का हिस्सा नहीं है। वाल्मीकि रामायण श्री राम के अयोध्या लौटने और सिंहासन पर बैठने के साथ ही खत्म हो जाता है। बाद में कुछ लोगों द्वारा विवादित व काल्पनिक "उत्तर रामायण" लिख कर जोड़ा गया और सारी विवादित चीजें इसी से निकलती हैं।

श्री राम द्वारा माँ सीता के त्याग का प्रकरण भी इसी काल्पनिक "उत्तर रामायण" में आता है - जिसकी मदद से श्री राम को स्त्री-विरोधी दिखाया गया। शम्बूक वध की काल्पनिक कहानी भी इसी काल्पनिक "उत्तर रामायण" का हिस्सा है जिस से श्री राम को दलित विरोधी दिखाया गया। जबकि सच ये है कि अहिल्या से लेकर केवट तक और वाल्मीकि जी तक - सब साबित करते हैं कि श्री राम मर्यादा-पुरुषोत्तम थे। विद्वानों और इतिहासकारों ने "उत्तर रामायण" को बाद में जोड़ा गया काल्पनिक कहानी ही माना है।

'शम्बूक वध' जैसे प्रकरणों को गलत तरीके से पेश करके हिन्दुओं को विभाजित करके हमारे भगवानों को बदनाम करके की साजिश से दूर रहें।

- राहुल तिवारी

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