Wednesday, July 15, 2020

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गैंगस्टर के साथी 




पिता को गम था बेटा उसकी क्यों नहीं सुनता 
बीवी को गम वो औरों जैसा क्यों न कम था 

बनाई क्यों उसने अपनी ऐसी अलग दुनिया 
भगवान ही जिसमें यम था 

माता नें कहा चढ़ा दो उसे फाँसी 
क्योंकि उन्हें अपनी गलती पर गम था 

ग्रामीण खूब नाचे, खुशियाँ मनायीं 
अब जो वह गया थम था 

किसी जर्नलिस्ट नें नहीं पूछा उसके बेटे से 
क्या तुम्हें भी कुछ गम था

समाज उसे मार कर अपनी गलतियाँ छिपा ले 
पर कहीं उनकी नियत में भी कुछ कम था 

क्यों बनते हैं विकास दूबे तुम्हारी दुनिया में 
या तुम जो इतने भले थे वह तुम्हारा भ्रम था 

अकेले कातिल नहीं बना करता कोई 
उसका साथ देने में कहाँ कोई शरम था  

उसके जीते जी तुमने निभाई दोस्ती 
मरने पर कहा उसका अपना करम था 

मारने से क्या सच्चाई छिप जाएगी
किया तुमनें भी जो अक्षम्य था 

~ राहुल तिवारी 

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